अनंत शब्द का अर्थ है जिसका न कोई आदि है और न कोई अंत। यह ब्रह्मांड में हर जगह व्याप्त है, और यह अनंतता स्वयं भगवान विष्णु और भगवान शिव का प्रतीक है। भगवान विष्णु को 'अनंत' के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है अंतहीन, जबकि भगवान शिव को 'आदि अनादि' और 'आदियोगी' कहा जाता है, जो अनंत काल से ध्यान की अवस्था में हैं।
अनंत चतुर्दशी का पर्व
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन अनंत सूत्र, जिसे रेशम के लाल धागे से बनाया जाता है और जिसे कलावा भी कहा जाता है, बांधने की परंपरा है। यह सूत्र न केवल व्यक्ति को हर प्रकार के कष्टों से दूर रखता है बल्कि उसे नजर दोष से भी बचाता है और चौदह लोकों में रक्षा प्रदान करता है।
अनंत सूत्र और चौदह लोक
सनातन धर्म में चौदह लोकों का वर्णन किया गया है जैसे भूलोक, पाताल लोक, ब्रह्म लोक, और तलातल आदि। अनंत सूत्र में चौदह गांठें बांधी जाती हैं, जो इन चौदह लोकों का प्रतीक हैं। इस सूत्र को कलाई में धारण करने से सभी लोक-परलोक के बंधनों से मुक्ति मिलती है और भगवान हरि स्वयं हमारी रक्षा करते हैं। अनंत चतुर्दशी का यह सूत्र व्यक्ति को भगवान विष्णु के समीप लाता है।
भगवान विष्णु और शेषनाग
यह भी मान्यता है कि भगवान विष्णु के साथ क्षीरसागर में शेषनाग भी निवास करते हैं, जिन्होंने पूरी पृथ्वी को अपने फनों पर धारण कर रखा है। शेषनाग, जो भगवान विष्णु के परम भक्त हैं, अनंत मस्तक वाले और अनंत शरीर वाले हैं। इसलिए इन्हें भी 'अनंत' कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की शेषनाग की शैय्या पर लेटी मूर्ति की पूजा का विशेष महत्व होता है। अनंत सूत्र को भगवान विष्णु के सामने रखकर उनकी पूजा की जाती है और फिर इसे संकटों से रक्षा करने के लिए बांधा जाता है।
महाभारत काल की कथा
महाभारत काल में, जब पांडव अपना सारा राज्य खोकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने का सुझाव दिया था। पांडवों ने द्रौपदी के साथ इस व्रत का पालन किया और अनंत रक्षा सूत्र धारण किया, जिससे वे सभी संकटों से मुक्त हुए और मोक्ष की प्राप्ति की।
सनातन संस्कृति की धरोहर
यदि अब तक हमने इस पर्व के महत्व को नहीं समझा है, तो अबसे इसे जानकर और इसके पीछे छिपे धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों को समझकर, हमें इस त्यौहार को पूरी श्रद्धा और विधि विधान से मनाना चाहिए। हमारे त्यौहार हमारी सनातन संस्कृति की धरोहर हैं, जिन्हें अपनाकर हम अपनी पीढ़ी को इस अनमोल परंपरा से जोड़ सकते हैं।
अनंत चतुर्दशी का सार
अनंत चतुर्दशी का यह पर्व हमें अनंत भगवान की कृपा और उनकी अनंतता का स्मरण कराता है, जो हमें जीवन के हर संकट से उबारने में सक्षम हैं। इस पर्व को मनाकर हम अपने जीवन को अधिक समृद्ध और धन्य बना सकते हैं।